मोदी सरकार की इस पहल से कैसे लोगों को जबर्दस्त फायदा, क्या है संकेत
Updated on
08-01-2025 02:17 PM
नई दिल्ली: जन औषधि केंद्रों ने नवंबर 2024 के अंत तक 1,255 करोड़ रुपये की दवाएं बेचीं। इससे लोगों को लगभग 5,020 करोड़ रुपये की बचत हुई। रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। वित्त वर्ष 2024-25 में पीएमबीआई ने नवंबर अंत तक 1,255 करोड़ की बिक्री की। पीएमबीआई का पूरा नाम भारतीय औषधि और चिकित्सा उपकरण ब्यूरो है। यह फार्मास्यूटिकल्स विभाग के अंतर्गत आता है। जन औषधि केंद्र मोदी सरकार की पहल का हिस्सा हैं। इनका उद्देश्य आम लोगों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराना है। इन केंद्रों पर जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में काफी कम कीमत पर बेची जाती हैं। ये केंद्र देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित किए गए हैं ताकि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।
1,255 करोड़ रुपये की बिक्री का क्या मतलब है?
यह दर्शाता है कि जन औषधि केंद्रों में लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। लोग अब ब्रांडेड दवाओं की बजाय जेनेरिक दवाओं को तवज्जो दे रहे हैं, जो उनकी जेब पर कम बोझ डालती हैं। यह सरकार की इस पहल की सफलता का एक मजबूत संकेत है।
जन औषधि केंद्रों की सफलता के पीछे क्या कारण?
सबसे पहला इन केंद्रों में जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में काफी सस्ती होती हैं। दूसरा, सरकार गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े मानकों का पालन करती है। तीसरा, जन औषधि केंद्र देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं। चौथा, सरकार की ओर से जन औषधि केंद्रों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किए गए प्रयासों ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सरकार ने क्या बताया है?
रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने बताया है कि जन औषधि बिक्री केंद्रों के माध्यम से दवाओं की बिक्री 30 नवंबर, 2024 तक 1,255 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में फार्मास्यूटिकल्स विभाग के तहत पीएमबीआई की बिक्री नवंबर के अंत तक 1,255 करोड़ रुपये रही। इससे नागरिकों को लगभग 5,020 करोड़ रुपये की बचत हुई।
एक्सपैंशन के लिए क्या कर रही है सरकार?
वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और असम राइफल्स (सीएपीएफ, एनएसजी और एआर) के साथ कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए ताकि सीएपीएफ, एनएसजी और एआर (एमएचए) अस्पतालों में जन औषधि दवाएं लाकर स्वास्थ्य सेवा पहुंच को बढ़ाया जा सके।
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