राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि व्यक्ति को अहंकार से दूर रहना चाहिए नहीं तो वह गड्ढे में गिर सकता है। पुणे में हुए कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए समाज के सभी वर्गों को मजबूत बनाना जरूरी है।
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि हर व्यक्ति में एक सर्वशक्तिमान ईश्वर होता है, जो समाज की सेवा करने की प्रेरणा देता है, लेकिन अहंकार भी होता है। राष्ट्र की प्रगति केवल सेवा तक सीमित नहीं है। सेवा का उद्देश्य नागरिकों को विकास में योगदान देने में सक्षम बनाना होना चाहिए।
समाज में सब कुछ गलत होने की धारणा बढ़ती जा रही
भागवत ने कहा कि सभी को लगता है समाज में सब कुछ गलत हो रहा है, लेकिन हर नकारात्मक पहलू के लिए समाज में 40 गुना ज्यादा अच्छी और शानदार सेवा की जा रही है। इस बारे में लोगों को बताना जरूरी है।
मोहन भागवत के बयान जो चर्चा में रहे-
इंसान सुपरमैन, फिर भगवान बनना चाहता है
- प्रगति का कोई अंत नहीं है। इंसान पहले सुपरमैन, फिर देवता और उसके बाद भगवान बनना चाहता है, लेकिन अभी यह नहीं समझना चाहिए कि बस अब हो गया। उन्हें लगातार काम करते रहना चाहिए, क्योंकि विकास का कोई अंत नहीं है। कांग्रेस ने भागवत के इस बयान को PM मोदी के लिए बताया था।
संघ चुनाव नतीजों के एनालिसिस में नहीं उलझता-
चुनाव के बाद बाहर का माहौल अलग है। नई सरकार भी बन गई है। ऐसा क्यों हुआ, संघ को इससे मतलब नहीं है। संघ नतीजों के विश्लेषण में नहीं उलझता। लोगों ने जनादेश दिया है, सब कुछ उसी के अनुसार होगा। क्यों? कैसे? संघ इसमें नहीं पड़ता। दुनियाभर में समाज में बदलाव आया है, जिससे व्यवस्थागत बदलाव हुए हैं। यही लोकतंत्र का सार है।
मर्यादा का पालन करें, अहंकार न करें-
जो अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए मर्यादा की सीमाओं का पालन करता है, जो अपने काम पर गर्व करता है, फिर भी अनासक्त रहता है, उसमें अहंकार नहीं होता है - ऐसा व्यक्ति वास्तव में सेवक कहलाने का हकदार है।
3 बच्चे पैदा करने चाहिए-
समाज नष्ट न हो इसलिए सभी को कम से कम 3 बच्चे पैदा करना जरूरी है। देश की जनसंख्या नीति 1998-2002 में तय की गई थी। इसके मुताबिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो समाज अपने आप नष्ट हो जाएगा। अब कोई इंसान 0.1 पैदा तो नहीं होता... इसलिए यह कम से कम तीन होना चाहिए।
मणिपुर जल रहा, इस पर कौन ध्यान देगा-
एक साल से मणिपुर शांति की राह देख रहा है। इससे पहले 10 साल शांत रहा और अब अचानक जो कलह वहां पर उपजी या उपजाई गई, उसकी आग में मणिपुर अभी तक जल रहा है, त्राहि-त्राहि कर रहा है। इस पर कौन ध्यान देगा? प्राथमिकता देकर उसका विचार करना यह कर्तव्य है।
पंडितों ने जाति बनाकर बांटा-
जाति भगवान ने नहीं बनाई है, जाति पंडितों ने बनाई जो गलत है। भगवान के लिए हम सभी एक हैं। हमारे समाज को बांटकर पहले देश में आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इसका फायदा उठाया।
RSS हमेशा आरक्षण के पक्ष में-
संघ ने कभी भी कुछ खास वर्गों को दिए जाने वाले आरक्षण का विरोध नहीं किया है। हैदराबाद में एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि संघ का मानना है कि जब तक जरूरत है, आरक्षण जारी रहना चाहिए। भागवत ने यह बात भाजपा और कांग्रेस के बीच आरक्षण को लेकर चल रहे बयानों के बाद कही।
मांसाहार नहीं होगा, तो कत्लखाने खुद ही बंद हो जाएंगे-
मांसाहार से पानी की खपत बढ़ती है, लेकिन अब उसकी इंड्रस्ट्री हो गई, कत्लखाने हो गए। उसमें होने वाली प्रोसेस में तो अनाप-शनाप पानी खर्च होता है। प्रदूषण भी बढ़ता है। यदि मांसाहार नहीं होगा, तो कत्लखाने खुद ही बंद हो जाएंगे।'
मुकाबला झूठ पर आधारित न हो-
जब चुनाव होता है तो मुकाबला जरूरी होता है। इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। जो मर्यादा का पालन करते हुए कार्य करता है, गर्व करता है, किन्तु लिप्त नहीं होता, अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों मे सेवक कहलाने का अधिकारी है।